वर्ष 2000 से पूर्व विश्व भर के सभी लोग यह समझते थे कि संसार में केवल दो प्रकार के लोग है, धर्मात्मिक और आध्यात्मिक !
शून्यपंथ ने विश्व को सर्वप्रथम यह बताया कि संसार में तीन प्रकार के लोग है, धर्मात्मिक, आध्यात्मिक और शून्यात्मिक !
धर्मात्मिक, आध्यात्मिक और शून्यात्मिक की विस्तृत परिभाषा समझने के लिए शून्यपंथ में संपर्क करें !
सर्वप्रथम, यह समझने का प्रयत्न करें कि आप किस श्रेणी में आते है धर्मात्मिक या आध्यात्मिक ! यदि आप, स्वयं की वर्तमान श्रेणी को समझने में असमर्थ हैं तो आप मार्गदर्शन के लिए निसंकोच शून्यपंथ में संपर्क करें !
स्वयं की वर्तमान श्रेणी समझने के बाद:
- शून्यात्मिक बनने के लिए शून्यपंथ का सदस्यता फार्म भरें !
- शून्यपंथ द्वारा आयोजित शून्यसंग में नियमित रूप से भाग लें !
- शून्यसंग में शून्यक्रिया सीखें और इसका नियमित अभ्यास करें !
- आत्मा से शून्यात्मा होने के लिए शून्यसंग में शून्यज्ञान प्राप्त करें !
- प्रतिदिन शून्यमंत्र करें और दूसरों को भी इसके सभी लाभ बतायें !
शून्यपंथ की सदस्यता सभी लोगों के लिए नि:शुल्क उपलब्ध है !
शून्यपंथ का सम्पूर्ण शून्यज्ञान होने के बाद ही किसी व्यक्ति को शून्यात्मिक शीर्षक से सम्मानित किया जाता है !
अधिक जानकारी के लिए शून्यपंथ में संपर्क करें !
संस्थापक: विजय बतरा
M: 8383077225