शून्यसंग

शून्यसंग

शून्यपंथ, शून्य अर्थात ब्रह्मांड को संचालित करने वाली निराकार शक्ति से प्रेरित विचारधारा है, शून्यपंथ कोई धर्म नहीं है यह ऐसी दिव्य आत्माओं का समूह है जिनका लक्ष्य शून्यात्म के माध्यम से मोक्ष की  प्राप्ति है | शून्यपंथ में किसी भी साकार वस्तु, जीवित अथवा मृत व्यक्ति, कहानी, रूढ़िवादी मान्यता और अंधविश्वास का कोई स्थान नहीं है | शून्यपंथ विश्व का एकमात्र ऐसा समूह है जो शून्य में विश्वास रखने वाली दिव्य आत्माओं को शून्यात्मिक होने में मार्गदर्शन और सहायता करता है ! शून्यपंथ सभी को शून्यात्मिक होने के लिए शून्यमंत्र, शून्यज्ञान और शून्यक्रिया प्रदान करता है |

शून्यपंथ का शून्यज्ञान

शून्यपंथ के शून्यज्ञान में ऐसे सभी प्रश्नों का उत्तर है जिन्हे अभी तक निरूत्तर समझा जाता था | शून्यज्ञान से आत्मा की उत्पत्ति, कर्म की सिद्धांत प्रणाली, कर्म से कर्मफल बनने का समस्त ज्ञान, मोक्ष प्राप्ति तथा अदृश्य संसार के सभी गुप्त रहस्यों के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है | शून्यज्ञान कहानियों पर आधारित नहीं है इसलिए शून्य के निष्पक्ष ज्ञान से सभी प्रकार के भ्रम और भ्रांतियां समाप्त होती हैं | शून्यज्ञान से व्यक्ति को रूढ़िवादी मान्यताओं से छुटकारा मिलता है और दैनिक जीवन में स्पष्ट, सत्य और सकारात्मक सोचने की प्रेरणा भी मिलती है

शून्यज्ञान में सभी प्रकार के प्रश्नों के उत्तर मिलता है इनमें से कुछ इस प्रकार है:

  • शून्य अर्थात निराकार कहाँ है और क्या क्या नहीं करता है !
  • सभी कुछ शून्य करता है तो फिर कर्मफल जीव को क्यों मिलता है !
  • जीव में शून्य होने पर भी उसमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार  क्यों है !
  • कर्म से कर्मफल बनने का नियम क्या है और यह कैसे संचालित होता है !
  • किन कर्मों का फल मनुष्य जीवन में मिलता है और किनका फल मनुष्य जीवन में नहीं मिलता है !
  • जिन कर्मों का फल नहीं मिलता वह कर्म कहाँ जाते है और बिना इच्छा किए कर्मफल क्यों मिलते है !
  • मनुष्य पिछले जन्मों का कर्मफल लाखों योनियों में भुगतकर भी यहाँ किन कर्मों का फल भोगता है !
  • आत्मा अजन्मी है तो इतनी सारी आत्माएं कहाँ से आ रही है और आत्मा अमर है तो मोक्ष क्या है !
  • शून्य सकारात्मक है फिर भी शून्य रचित संसार में भय, भ्रम और नकारात्मकता क्यों है !
  • इत्यादि !

शून्यपंथ की शून्यक्रिया

शून्यपंथ की शून्यक्रिया – शून्यात्म, शून्यऊर्जा और ब्रह्मांड पर आधारित अद्वितीय खोज है जिसके  नियमित अभ्यास से मानसिक, शारीरिक और आत्मिक नकारात्मकता शून्य हो जाती है और यह केवल शून्यलोक में सिखाया जाता है | शून्यक्रिया में अनेकों क्रियाएं हैं जिनको करने से व्यक्ति की आत्मिक ऊर्जाशक्ति बढ़ती  है और शून्यऊर्जा का अनुभव भी होता है | शून्यऊर्जा का प्रवाह मस्तिष्क, शरीर अथवा आत्मा में होना, शून्य अवस्था का एक उत्तम प्रकार है | शून्यक्रिया की विशेषता यह है कि यह योगासन, हस्त मुद्रा इत्यादि से बिल्कुल भिन्न है और इसकी अपनी ही एक तकनीक है जो केवल शून्यपंथ सिखाता है |

शून्यक्रिया करते हुए, यदि शून्य शून्य अर्थात शून्यमंत्र का उच्चारण करें तो शून्यक्रिया करने का लाभ एक हजार गुण बढ़ जाता है | विश्व के अनेकों देशों में शून्यक्रिया को दैनिक रूप से करने वाले लोगों की अवस्था शून्यात्मिक अवस्था के ओर प्रगतिशील है जिसके परिणाम से अधिकतर लोग शून्यक्रिया करते हुए खुली आँखों से शून्य अवस्था का अनुभव भी कर रहे है |

शून्यपंथ समय-समय पर शून्यक्रिया को सिखाने और इसके अभ्यास करने हेतू समय-समय पर शून्यशाला का आयोजन करता है और इसके विश्वभर में विस्तार के लिए कार्यरत है | शून्यपंथ के शून्यशाला विस्तार कार्यक्रम के बारे में जानकारी के लिए कार्यालय में संपर्क करें |

शून्यपंथ का शून्य उच्चारण

प्रतिदिन ‘शून्य शून्य’ मंत्र उच्चारण करने से हर प्रकार की समस्या, बाधा, चिंता और कष्ट शून्य हो जाते है ! शून्यमंत्र के उच्चारण से विचारों और ऊर्जा मे सकारात्मक बदलाव आते हैं इसलिए प्रतिदिन शून्यमंत्र उच्चारण अति लाभकारी है ! विश्व के विभिन्न देशों में प्रतिदिन हजारों लोग शून्य शून्य उच्चारण से अलौकिक जगत का अनुभव कर रहे है | शून्यात्म के माध्यम से शून्यात्मिक होने के लिए और शून्यज्ञान तथा शून्यक्रिया के लिए शून्यपंथ में संपर्क करें !

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