Shunyalogy

SHUNYALOGY क्या है ?SHUNYALOGY शून्य अर्थात सारे ब्रह्मांड को संचालित करने वाली ऊर्जाशक्ति से प्रेरित, शून्यात्म  पर आधारित, शून्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति के लिए है |

SHUNYALOGY पाप पुण्य के भय, सही गलत के भ्रम, समय नष्ट करने वाले अंधविश्वास, धन नष्ट करने वाले कर्मकांडों और रूढ़िवादी मान्यताओं से मुक्त करने के साथ-साथ सकारात्मक तथा प्रसन्न जीवन जीने की कला सिखाती है |

SHUNYALOGY शून्य ऊर्जा का सदुपयोग करते हुए समस्याओं, बाधाओं, चिंताओं, कष्टों को भी शून्य करती है |

SHUNYALOGY दिव्य, अलौकिक और श्रेष्ठ  लोगों के लिए है जो केवल शून्य में विश्वास रखते हैं और जिनका लक्ष्य शून्यात्म के माध्यम से शून्यात्मिक होकर मोक्ष की प्राप्ति करना है |

SHUNYALOGY में किसी भी साकार वस्तु, जीवित अथवा मृत व्यक्ति, तर्कहीन कहानी, रूढ़िवादी मान्यता और अंधविश्वास का कोई स्थान नहीं है | बीसवीं शताब्दी तक ऐसा माना जाता था कि व्यक्ति की दो अवस्थाएं होती है: (1) धर्मात्मिक और (2) आध्यात्मिक |

SHUNYALOGY विश्व का एकमात्र ऐसा शिक्षा ज्ञान है जिसने विश्व को सर्वप्रथम यह बताया कि व्यक्ति की तीन अवस्थाएं हैं: (1) धर्मात्मिक, (2) आध्यात्मिक और (3) शून्यात्मिक !

धर्मात्मिक लोग किसी एक धर्म के नियमों के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करते हैं | धर्मात्मिक लोगों के स्वभाव में सरलता से उन्नति मिलने और सांसारिक सुखों की इच्छाएं अधिक होती है और ये लोग सांसारिक निर्भरता  के अधीन होते है इसलिए धर्मात्मिक लोगों को दूसरों से आशीर्वाद, दूसरों की कृपा और दूसरों से सहायता मिलने की आशा रहती है | धर्मात्मिक लोग अपने जीवन की कई घटनाओं को किसी चमत्कार का होना मानते हैं | संसार में धर्मात्मिक लोगों की संख्या सबसे अधिक है क्योंकि संसार की अधिकतर जनसंख्या कम मेहनत में अधिक लाभ चाहती है |

अध्यात्मिक लोग किसी धर्म के नियमों के अनुसार अपना जीवन व्यतीत नहीं करते हैं | अध्यात्मिक लोगों के स्वभाव में आंतरिक सुखों का अनुभव करने की इच्छाएं अधिक होती है और ये लोग दूसरों अपने पर निर्भर रखने की इच्छा रखते है इसलिए दूसरों को आशीर्वाद देना और दूसरों की सहायता करना इनके जीवन का लक्ष्य होता है और ऐसा करने से इन्हें प्रसन्नता भी मिलती है | अध्यात्मिक लोग दूसरों के जीवन में होने वाली कई घटनाओं को अपना चमत्कार होना बताते हैं | संसार में अध्यात्मिक लोगों की संख्या धर्मात्मिक लोगों से कम है |

शून्यात्मिक व्यक्ति केवल अपनी आत्मिक शक्ति पर निर्भर रहता है इसलिए मोक्षप्राप्ति के लिए यह किसी व्यक्ति या कर्मकांड पर निर्भर नहीं रहता है और ना ही किसी व्यक्ति को अपने पर निर्भर रखने की इच्छा रखता है अर्थात इसका स्वभाव शून्य जैसा हो जाता है | शून्यात्मिक व्यक्ति को कोई भी घटना विचलित या प्रसन्न नहीं  करती है और इसे ऐसे सभी प्रश्नों का उत्तर पता है जिन्हे उत्तरहीन समझा जाता है जैसे : आत्मा की उत्पत्ति कैसे होती है, मन, अंतरात्मा और आत्मा में क्या भिन्नता है, निराकार का आकार क्या है, कर्म से कर्मफल बनने की प्रक्रिया क्या है, मृत्यु के बाद अगला जन्म होने तक की आत्मा की अवस्था क्या होती है और अगला जन्म किस आधार पर होता है, पृथ्वी पर जीवन होने के लिए अन्य ग्रहों की आवश्यकता क्यों है इत्यादि | शून्यात्मिक व्यक्ति में खुली आँखों से ध्यान करने की क्षमता होती और मृत्यु से पहले मोक्ष पाने मे सक्षम हो जाता है | अज्ञानता की समाप्ति से ही मोक्ष की प्राप्ति है !

SHUNYALOGY अनेकों वर्षों से शून्य की खोज करने वाले लोगों को शून्यात्मिक अवस्था पाने के लिए मार्गदर्शन कर रहा है इसमे शून्यज्ञान, शून्यमंत्र, शून्यक्रिया, शून्यविधि, शून्य साधना इत्यादि हैं | आप भी इसका लाभ अवश्य उठायें |

SHUNYALOGY के लाभ:

  • SHUNYALOGY से शून्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होने का सुअवसर मिलता है !
  • SHUNYALOGY से बिना उपायों के समस्याओं का समाधान होता है !
  • SHUNYALOGY से अंधविश्वास और रुढिवादिता से मुक्ति मिलती है !
  • SHUNYALOGY से पाप-पुण्य के भय और भ्रम से छुटकारा मिलता है !
  • SHUNYALOGY से सभी अलौकिक प्रश्नों के रहस्यमयी उत्तर मिलते है !
  • SHUNYALOGY से इसी जन्म के बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है !

SHUNYALOGY केवल शून्यात्मिक शिक्षा प्रदान करती है यह किसी धर्म या व्यक्ति से प्रेरित नहीं है | SHUNYALOGY किसी को भी अपनी आस्था परिवर्तन के लिए नहीं कहती है |

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संस्थापक : विजय बतरा KARMALOGIST